यह कैसा 'Make in USA'?
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By kyonyaar Desk | Updated: May 25, 2025
Apple के सहारे भारत पर निशाना, पर 80% प्रोडक्ट बनते हैं बाहर!
मुख्य बिंदु (Highlights):
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अमेरिका की 9 टेक दिग्गज कंपनियां 80% से ज्यादा प्रोडक्ट विदेशों में बनवाती हैं।
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Apple भारत में iPhone असेंबल कराता है, लेकिन मुख्य प्रोडक्शन चीन और वियतनाम में।
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अमेरिका खुद 'मेक इन USA' की बात करता है, पर कंपनियां लागत और स्केलेबिलिटी के लिए आउटसोर्सिंग करती हैं।
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भारत को टारगेट करने की रणनीति सिर्फ राजनीतिक-आर्थिक दबाव है।
1. अमेरिका की 9 टेक कंपनियां और उनके प्रोडक्शन लोकेशन:
कंपनी का नाम | कुल प्रोडक्ट | अमेरिका में निर्माण (%) | विदेश में निर्माण (%) | प्रमुख देश |
---|---|---|---|---|
Apple | iPhone, Mac, iPad | 10% | 90% | चीन, भारत, वियतनाम |
Pixel, Nest, Chromebook | 15% | 85% | ताइवान, मलेशिया, वियतनाम | |
Microsoft | Surface, Xbox, Accessories | 20% | 80% | चीन, मलेशिया |
Amazon | Echo, Kindle, Fire Devices | 5% | 95% | चीन, भारत |
Tesla | EVs, Batteries, Solar | 70% | 30% | चीन (Giga Shanghai), जर्मनी |
HP | Laptops, Printers | 10% | 90% | चीन, फिलीपींस |
Dell | PCs, Servers | 15% | 85% | भारत, पोलैंड, मलेशिया |
Intel | Chips, Processors | 30% | 70% | वियतनाम, इजराइल, आयरलैंड |
Nvidia | GPUs, AI chips | 10% | 90% | ताइवान (TSMC), कोरिया |
नोट: ऊपर दिया गया डेटा सार्वजनिक रिपोर्ट्स, सप्लाई चेन रिसर्च और टेक इंडस्ट्री एनालिसिस पर आधारित है।
2. Apple और भारत: फायदा कौन उठा रहा है?
Apple भारत में iPhone 15, 14 और SE जैसी यूनिट्स का असेंबली वर्क करता है — वो भी Foxconn जैसी ताइवान की कंपनियों के जरिए। हालांकि ये कदम भारत के लिए फायदे का सौदा है (रोजगार, निवेश), लेकिन:
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Apple की सप्लाई चेन का 80% अब भी चीन-केन्द्रित है।
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भारत में सिर्फ असेंबली होती है, मैन्युफैक्चरिंग नहीं।
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फिर भी, अमेरिका अक्सर भारत के डेटा पॉलिसी, ट्रेड लॉज और ऐप बैन जैसे मामलों पर टारगेट करता है।
3. क्यों बनवाती हैं अमेरिकी कंपनियां बाहर प्रोडक्ट?
मुख्य कारण:
कारण | विवरण |
---|---|
लागत (Cost) | अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग की लागत बहुत ज्यादा है। |
लेबर अवेलेबिलिटी | चीन, वियतनाम, भारत में सस्ती और स्किल्ड लेबर मिलती है। |
इनफ्रास्ट्रक्चर | कई एशियाई देश अब बेहतर इंडस्ट्रियल सेटअप ऑफर करते हैं। |
टैक्स बेनिफिट | कुछ देशों में टैक्स इंसेंटिव्स और सब्सिडी मिलती है। |
पॉलिटिकल स्थिरता | अमेरिका की पॉलिटिक्स में बार-बार बदलाव कंपनियों के लिए जोखिम पैदा करते हैं। |
4. अमेरिका की दोहरी नीति: 'Do as I say, not as I do'
अमेरिका जहां खुद अपने प्रोडक्ट्स विदेशों में बनवा रहा है, वहीं भारत जैसे देशों पर "डेटा लोकलाइजेशन", "यूजर प्राइवेसी", और "लोकल मैन्युफैक्चरिंग" को लेकर सवाल उठाता है।
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Apple के जरिए भारत को निशाना बनाना एक पॉलिटिकल टूल बन चुका है।
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Google और Amazon जैसी कंपनियां भारत में डेटा स्टोरिंग, डिजिटल टैक्स और E-commerce रूल्स का विरोध करती हैं।
5. भारत का जवाब क्या होना चाहिए?
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मजबूत लोकल पॉलिसी: भारत को अपने डिजिटल और ट्रेड लॉ में मजबूती लानी होगी।
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Global Standards अपनाना: भारत को चाहिए कि वो दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धी बने, लेकिन झुके नहीं।
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'Make in India' का असली मतलब: भारत को सिर्फ असेंबली नहीं, core tech manufacturing पर जोर देना होगा।
निष्कर्ष:
यह कैसा 'Make in USA'? जब खुद अमेरिका की कंपनियां अपने 80% प्रोडक्ट्स बाहर बनवा रही हैं, तो भारत जैसे देशों पर निशाना साधना दोहरा रवैया दिखाता है।
Apple हो या Google — सभी कंपनियां अपने हितों के लिए देश बदलती हैं, लेकिन भारत को अब सिर्फ बाजार नहीं, मैन्युफैक्चरिंग पावर बनना होगा।
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