खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025: बिहार में युवा खेल प्रतिभाओं का महाकुंभ
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लेखक: Ashish Kudal | ब्लॉग: Kyon Yaar | अपडेटेड: 31 मई 2025
भारत में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित 'खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025' का आयोजन 4 से 15 मई 2025 तक बिहार के पांच शहरों — पटना, राजगीर, गया, भागलपुर और बेगूसराय — में किया गया। यह पहली बार था जब बिहार ने इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय खेल आयोजन की मेजबानी की, जिसमें 28 खेलों में 10,000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया। ABP Live
आयोजन की प्रमुख विशेषताएं
1. खेलों की विविधता और पारंपरिक खेलों का समावेश
इस संस्करण में 28 खेलों का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक भारतीय खेल जैसे मल्लखंभ, गतका, कलारीपयट्टु, थांग-ता और योगासन शामिल थे। इसके अलावा, सेपक टकराव को पहली बार शामिल किया गया, जो भारत की 2025 ISTAF वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतने की प्रेरणा से हुआ। Wikipedia+1Oneindia Hindi+1
2. प्रमुख प्रदर्शन और युवा सितारे
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हरषवर्धन साहू (ओडिशा): 16 वर्षीय भारोत्तोलक ने 49 किलोग्राम वर्ग में स्नैच में 88 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 115 किलोग्राम उठाकर दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए। The Times of India
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आइसेंगफा गोगोई (असम): 55 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 183 किलोग्राम उठाकर राष्ट्रीय युवा रिकॉर्ड तोड़ा। Wikipedia
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आदित्य पिसाल (महाराष्ट्र): 100 मीटर दौड़ में 10.62 सेकंड का समय लेकर मीट रिकॉर्ड बनाया। The Times of India
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खुशी यादव (बिहार): 2000 मीटर स्टीपलचेज़ में 9:52.10 का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता। Wikipedia
3. बिहार की मेजबानी और बुनियादी ढांचे का विकास
बिहार सरकार ने खेलों के सफल आयोजन के लिए पटना, राजगीर, गया, भागलपुर और बेगूसराय में खेल सुविधाओं का विकास किया। बेगूसराय में फुटबॉल प्रतियोगिताओं के लिए यमुना भगत स्टेडियम, गांधी स्टेडियम और पॉलिटेक्निक ग्राउंड को तैयार किया गया। ABP Live+1Oneindia Hindi+1Bihar Say
4. समावेशिता और पैरा गेम्स का आयोजन
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के साथ-साथ पहली बार बिहार में खेलो इंडिया पैरा गेम्स का भी आयोजन किया गया, जिसमें दिव्यांग एथलीटों को समान अवसर और मंच प्रदान किया गया। Oneindia Hindi
निष्कर्ष
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 ने न केवल युवा एथलीटों को राष्ट्रीय मंच प्रदान किया, बल्कि बिहार को खेलों के क्षेत्र में एक उभरते हुए केंद्र के रूप में स्थापित किया। इस आयोजन ने पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करने, समावेशिता को बढ़ावा देने और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आशा है कि इस तरह के आयोजनों से भारत में खेल संस्कृति और मजबूत होगी।
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