20 साल में चीन ने कैसे दुनिया के बाजार पर कब्जा कर लिया – और भारत को अब क्या करना होगा


📅 29 मई 2025
✍️ By KyonYaar Team
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चीन द्वारा दुनिया के बाजार पर कब्जा और भारत की जिम्मेदारी को दर्शाता हुआ डिजिटल थंबनेल - भारतीय झंडा, चीनी उत्पाद, और स्वदेशी अभियान की झलक


🔴 भूमिका: बाजार पर अदृश्य कब्जा

आप आज अपने टेबल पर रखें पेन, हाथ में पकड़ा मोबाइल, बालों में लगाई कंघी, या कंप्यूटर का माउस देखें — क्या आपने कभी गौर किया कि इनमें से ज़्यादातर चीज़ें चीन से आई हुई हैं?
चीन ने बीते 20 सालों में धीरे-धीरे, चुपचाप, दुनिया के हर घर में घुसपैठ कर ली है — सिर्फ सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि बटन, पेन, खिलौने, मोबाइल चार्जर और घरेलू सामान के जरिए

🇨🇳 कैसे हुआ यह कब्जा? चीन की रणनीति क्या रही?

चीन की यह आर्थिक जीत किसी संयोग का नतीजा नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति थी, जो इन प्रमुख तरीकों से की गई:

1. मास प्रोडक्शन + सस्ते दाम

चीन ने अपने देश में बड़े स्तर पर कारखाने लगाए और ऐसी मशीनें लगाईं जो लाखों यूनिट्स एक दिन में बना सकें। इससे उनकी यूनिट कॉस्ट घट गई और प्रोडक्ट सस्ता हो गया।

2. लॉन्ग-टर्म सब्सिडी प्लान

सरकार ने छोटे उत्पादकों को सालों तक सब्सिडी दी ताकि वो वैश्विक स्तर पर टिक सकें। भारत में ऐसा समर्थन MSMEs को नहीं मिला।

3. डंपिंग नीति (Dumping Policy)

चीन ने जानबूझकर कई बार माल को लागत से भी सस्ते में बाहर के देशों में बेचा ताकि वहां के घरेलू उद्योग खत्म हो जाएं।

4. तेज़ सप्लाई चेन नेटवर्क

चीन ने न सिर्फ प्रोडक्शन किया, बल्कि शिपिंग, कस्टम, एक्सपोर्ट-इंफ्रास्ट्रक्चर को इतना मजबूत किया कि कोई भी सामान 5-7 दिन में किसी भी कोने में पहुंचा दे।


🛑 भारत में कैसे हो रहा नुकसान?

📦 ₹20,000 करोड़ से ज़्यादा सालाना खर्च सिर्फ छोटी चीज़ों पर!

हम भारत में रोज़मर्रा की चीजें जैसे:

  • पेन

  • बैग की ज़िप

  • कंघी

  • रेजर

  • LED लाइट

  • खिलौने

  • फोन के बैक कवर
    जैसी चीजें चीन से मंगवाते हैं।
    इनकी कुल लागत हर साल हजारों करोड़ पहुंच जाती है।

🧸 खिलौनों का बाजार लगभग चीन नियंत्रित करता है

भारत में बिकने वाले लगभग 70% खिलौने चीन से आते हैं — इसमें इलेक्ट्रॉनिक टॉयज़, बैटरी-ऑपरेटेड कार, ड्रोन और रोबोटिक खिलौने शामिल हैं।


📉 भारतीय उद्योग क्यों पिछड़ रहे हैं?

  1. प्रौद्योगिकी (Technology) में कमी

  2. मशीनों का पुराना ढांचा

  3. बाजार तक पहुंच की समस्या

  4. ब्रांडिंग और पैकेजिंग में पिछड़ापन

  5. सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर सही क्रियान्वयन नहीं


💡 अब क्या करना होगा? – भारत के सामने 5 बड़ी ज़िम्मेदारियाँ

✅ 1. 'मेक इन इंडिया' को ज़मीनी हकीकत बनाना

सिर्फ पोस्टर और भाषणों से नहीं, असली उत्पादन और एक्सपोर्ट बढ़ाना होगा। छोटे उद्यमों को टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग सपोर्ट देना जरूरी है।

✅ 2. स्थानीय उत्पादन को प्राथमिकता देना

हमें अब बटन, कंघी, पेन जैसी चीज़ों के लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। किफायती लेकिन टिकाऊ भारतीय विकल्प तैयार करने होंगे।

✅ 3. Quality का फोकस

अगर भारतीय उत्पाद चीनी प्रोडक्ट से सुंदर, मज़बूत और टिकाऊ होंगे, तो ग्राहक उन्हें पसंद करेंगे। सस्ते की होड़ से निकल कर ‘बेहतर का भरोसा’ देना होगा।

✅ 4. डिजिटल मार्केटिंग से कारीगर को जोड़ना

आज हर एक छोटे व्यवसाय को Amazon, Flipkart, Meesho जैसे प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। इसके लिए सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने होंगे।

✅ 5. रोज़मर्रा की चीज़ों में आत्मनिर्भरता

हमें अपने घरों में, दुकानों में, स्कूलों में यह सोचकर खरीदारी करनी होगी – "क्या इसका भारतीय विकल्प मौजूद है?" और अगर है, तो उसी को चुनें।


📣 हमारे हाथ में है बाजार का भविष्य

चीन ने जो किया, वो धीरे-धीरे और रणनीति के साथ किया — लेकिन अब भारत के पास मौका है उस जाल को काटने का।
अगर हम आज से ही अपनी खरीदने की आदत बदलें, छोटे भारतीय ब्रांड्स को प्रमोट करें, और सरकार भी MSMEs के लिए टेक्नोलॉजी + फाइनेंस + मार्केट की व्यवस्था दे — तो अगले 10 सालों में दुनिया 'चीनी बाजार' नहीं, 'भारतीय बाज़ार' की बात करेगी।


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📌 निष्कर्ष: फैसला हमारे हाथ में है

"हर बार जब आप एक सस्ती चीनी चीज खरीदते हैं, आप किसी भारतीय कारीगर के सपने को पीछे धकेलते हैं।"

अब समय है बदलाव का — हर बटन, हर पेन, हर कंघी से

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