मजदूर निकले 400 करोड़ की ठगी के किंगपिन! भरतपुर पुलिस के भी उड़ गए होश

By Kyon Yaar Team | Updated: May 17, 2025

  कहानी सीधी नहीं है — झोपड़ी में रहने वाले एक जोड़े ने ऐसा साइबर जाल बिछाया कि पढ़े-लिखे लोग करोड़ों गंवा बैठे और खुद पुलिस भी ठगी के इस खेल की गहराई जानकर सन्न रह गई।

राजस्थान 400 करोड़ ठगी केस का सनसनीखेज खुलासा – मजदूर निकले मास्टरमाइंड


💥 झुग्गी से करोड़ों की कंपनी तक: क्या है असली कहानी?

राजस्थान के भरतपुर में जब पुलिस ने एक मामूली से दिखने वाले मजदूर पति-पत्नी को पकड़ा, तो किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि इनके पीछे 400 करोड़ की ठगी का राज़ छिपा है।

पहली नज़र में ये कोई बेहद साधारण परिवार लगते थे — झोपड़ी में रहने वाले, बिना दिखावे के। लेकिन असल में ये एक हाई-टेक साइबर फ्रॉड गैंग का हिस्सा थे, जो पूरे भारत में फैले लोगों को ठगने का मास्टर प्लान चला रहे थे।


💻 फर्जी कंपनियों का पूरा जाल

इन लोगों ने देश के अलग-अलग शहरों में फर्जी निवेश और गेमिंग कंपनियां खड़ी की थीं। नाम ऐसे जैसे असली स्टार्टअप हों —


Ruknek Enterprises (गुरुग्राम)


Selva Krishna IT Solutions (चेन्नई)


SKRC Infotech (ठाणे)


Nityashree Manpower (तमिलनाडु)


इन कंपनियों के नाम पर सैकड़ों बैंक अकाउंट खोले गए, लाखों लोगों को शेयर और गेमिंग के नाम पर इन्वेस्टमेंट ऑफर किया गया, और फिर बड़ी चालाकी से पैसा उड़ा लिया गया।


🎭 मास्टरमाइंड कौन?

इस गिरोह का मुख्य मास्टरमाइंड है रविंद्र सिंह, जिसकी डिग्री एमबीए है।

उसका भांजा शशिकांत सिंह, जो एक इंजीनियर है, टेक्निकल प्लानिंग करता था।

तीसरा नाम है दिनेश सिंह की पत्नी कुमकुम, जो फील्ड ऑपरेशन संभालती थी।


तीनों की चौंकाने वाली बात ये है कि ये बेहद सामान्य जिंदगी जीते थे — कोई बड़ी गाड़ी नहीं, न आलीशान घर — ताकि किसी को शक न हो।


🧠 ठगी का ‘स्मार्ट’ तरीका

“पैसा लगाओ, शेयर मिलेगा, गेम खेलो और कमाओ” — इस जुमले ने हजारों लोगों को फंसा लिया।


लोगों को मोबाइल और व्हाट्सऐप लिंक से एक ऐप पर लाया जाता था। शुरू में 100-500 रुपये पर रिटर्न दिखाया जाता, फिर लोग लाखों का इन्वेस्टमेंट कर देते — और फिर ऐप गायब।


जैसे ही किसी ने पुलिस में शिकायत की, नया अकाउंट, नई कंपनी और अगला शिकार।


🚔 पुलिस को कैसे लगी भनक?

धौलपुर निवासी एक व्यक्ति ने जब ₹6.5 लाख की ठगी की शिकायत दर्ज करवाई, तो पुलिस ने एक अकाउंट को ट्रैक करना शुरू किया।

शुरुआती जांच में 4000 से ज्यादा शिकायतें उसी अकाउंट से जुड़ी मिलीं!

जैसे-जैसे तह तक गए, मामला 400 करोड़ से ऊपर जा पहुंचा — और अभी भी असली रकम 1000 करोड़ तक पहुंचने की आशंका है।


💣 खुलासा जिसने सबको हिला दिया

जब पुलिस टीम ने दिल्ली जाकर इन्हें पकड़ा, तो हैरानी की हद हो गई।

पकड़े गए आरोपी न कभी विदेश गए, न किसी बड़े कारोबारी की तरह रहते थे, लेकिन पूरे देश को डिजिटल ठगने का नेटवर्क चला रहे थे।


✋ सबक क्या है?

कोई भी ऑनलाइन ऑफर जो "बहुत ज्यादा अच्छा" लगे, शायद झूठा ही हो।


किसी भी ऐप या कंपनी में निवेश करने से पहले उसकी सरकारी रजिस्ट्रेशन और रिव्यू जरूर जांचें।


पुलिस और साइबर सेल से संपर्क करने में देर न करें।


📌 निष्कर्ष

400 करोड़ की इस साइबर ठगी में असली झटका ये नहीं है कि कितनी बड़ी रकम गई —

बल्कि ये है कि कैसे एक झोपड़ी में रहने वाले मामूली दिखने वाले लोग, हजारों पढ़े-लिखे लोगों को स्मार्टफोन के जरिए बेवकूफ बना गए।


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