अनिल अंबानी के ADAG ग्रुप की कंपनियों की वापसी? | रिलायंस इंफ्रा और पावर के नए प्रोजेक्ट्स से उम्मीदें जगीं
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
By kyonyaar Desk | Updated: May 26, 2025
प्रस्तावना
देश के सबसे चर्चित कॉर्पोरेट चेहरों में से एक, अनिल अंबानी और उनकी ADAG (Anil Dhirubhai Ambani Group) ग्रुप की कंपनियों ने बीते एक दशक में भारी वित्तीय संकटों का सामना किया। कोर्ट केस, ऋण भार और बाजार में लगातार गिरती साख के कारण ये कंपनियां लगभग अंधकार में चली गई थीं। लेकिन अब 2025 में, ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियां – रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर – फिर से सुर्खियों में हैं। ऐसा लग रहा है कि यह ग्रुप अब वापसी की राह पर चल पड़ा है।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर: दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा मिलिट्री प्लांट
लोकेशन: नागपुर, महाराष्ट्र
प्रोजेक्ट: डिफेंस और एयरोस्पेस सेक्टर के लिए मेगाप्लांट
क्षमता: भारत और मित्र देशों के लिए आधुनिक मिलिट्री इक्विपमेंट का निर्माण
रिलायंस इंफ्रा ने नागपुर में दक्षिण एशिया के सबसे बड़े मिलिट्री मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की घोषणा की है। यह कदम भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के लक्ष्य से मेल खाता है। 'मेक इन इंडिया' और 'डिफेंस एक्सपोर्ट' को ध्यान में रखते हुए कंपनी इस प्रोजेक्ट से न केवल भारतीय सेना बल्कि मित्र देशों को भी सप्लाई करने की योजना बना रही है।
प्रमुख विशेषताएं:
-
टैंक, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और स्मार्ट वेपनरी का निर्माण
-
लगभग 15,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार
-
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रक्षा कॉन्ट्रैक्ट्स की दौड़ में वापसी
-
भारत के डिफेंस निर्यात में बड़ी भागीदारी की संभावना
यह प्लांट सिर्फ उत्पादन का केंद्र नहीं होगा, बल्कि इसे एक रिसर्च और डेवेलपमेंट हब के रूप में भी विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत को रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना है।
रिलायंस पावर: भूटान का सबसे बड़ा सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट
लोकेशन: भूटान के समद्रूप जोंगखार क्षेत्र
क्षमता: 550 मेगावाट
कुल लागत: ₹4,200 करोड़ (अनुमानित)
समय सीमा: 2026 तक पूर्ण होने की संभावना
रिलायंस पावर, जो लंबे समय से कर्ज और प्रोजेक्ट डिले के कारण चर्चा में थी, अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से एंट्री कर रही है। इस बार कंपनी ने भूटान में सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह प्रोजेक्ट साउथ एशिया में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट की खास बातें:
-
भूटान सरकार के साथ PPP मॉडल के तहत समझौता
-
Clean Energy Export: भारत और नेपाल को ऊर्जा सप्लाई
-
Climate Goals में योगदान और कार्बन क्रेडिट जनरेशन
-
रोजगार, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और स्थायी विकास
यह प्रोजेक्ट न सिर्फ रिलायंस पावर की छवि को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा, बल्कि भारत के ऊर्जा कूटनीति को भी मजबूती देगा।
क्या वाकई में यह ADAG ग्रुप की वापसी है?
इन दोनों प्रोजेक्ट्स को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अनिल अंबानी की अगुवाई वाला ADAG ग्रुप अब दोबारा ट्रैक पर आने की कोशिश में जुटा है। हालांकि अभी यह शुरुआती संकेत हैं, लेकिन इनकी रणनीति दीर्घकालिक और प्रभावी लग रही है।
विश्लेषण:
पहलू | 2020 की स्थिति | 2025 की स्थिति |
---|---|---|
मार्केट वैल्यू | गिरावट पर | स्थिरता की ओर |
कर्ज | अत्यधिक | पुनर्गठन चालू |
प्रोजेक्ट्स | रुके हुए | पुनः सक्रिय |
निवेशक भरोसा | डगमगाया | धीरे-धीरे वापसी |
बाजार की धारणा:
इन घोषणाओं के बाद रिलायंस इंफ्रा और पावर दोनों के शेयरों में हल्का उछाल देखा गया है। निवेशक अभी सतर्क हैं लेकिन इन कदमों से लंबी अवधि में ग्रुप की वैल्यू रिस्टोर हो सकती है।
निष्कर्ष
अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के लिए यह समय ‘मरणासन्न स्थिति से पुनर्जन्म’ जैसा है। डिफेंस और सोलर एनर्जी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में प्रवेश दर्शाता है कि ADAG ग्रुप अब सिर्फ वित्तीय पुनर्गठन ही नहीं, बल्कि विजनरी सेक्टर्स में अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी में है।
अगर ये प्रोजेक्ट्स सफल होते हैं, तो यह न सिर्फ अनिल अंबानी की साख को बहाल करेंगे, बल्कि भारत के औद्योगिक क्षेत्र में एक दिलचस्प कॉर्पोरेट वापसी की कहानी भी गढ़ेंगे।
आप क्या सोचते हैं? क्या अनिल अंबानी की वापसी संभव है या यह सिर्फ एक अंतिम प्रयास है? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें।
https://fktr.in/q0Jb0s4
पिछला लेख:
क्या AI आपकी नौकरी छीन लेगा? जानिए पूरा विश्लेषण
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ