2030 तक कोयले से ज़्यादा धूप से बनेगी बिजली: ऊर्जा क्रांति की दस्तक
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लेखक: Kyon Yaar | प्रकाशन तिथि: 26 मई 2025
भूमिका: बदलती ऊर्जा की तस्वीर
एक ऐसा युग जो दशकों से कोयले पर निर्भर था, अब धीरे-धीरे सूरज की रोशनी की ओर झुक रहा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली, कोयले से अधिक हो जाएगी। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी एक नया युग लेकर आ रहा है।
बिजली उत्पादन का ऐतिहासिक ट्रेंड: कोयला बनाम सौर ऊर्जा
नीचे दिया गया ग्राफ दिखाता है कि 2020 से लेकर 2030 तक कैसे कोयला आधारित उत्पादन में गिरावट आई और सौर ऊर्जा ने तेज़ी से वृद्धि की।
स्रोत: अनुमानित ऊर्जा रिपोर्ट 2024
विश्लेषण:
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2020 में: कोयले से 980 TWh और सौर से केवल 120 TWh बिजली उत्पन्न हुई।
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2025 तक: सौर ऊर्जा ने 370 TWh पार किया, जबकि कोयला 910 TWh तक गिरा।
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2030 में: सौर ऊर्जा 1000 TWh तक पहुंच जाएगी, जबकि कोयला गिरकर 770 TWh रह जाएगा।
तो क्या कोयले का युग खत्म हो गया?
नहीं, अभी नहीं।
हालांकि सौर ऊर्जा के आंकड़े शानदार हैं, लेकिन अक्षय ऊर्जा की एक बड़ी चुनौती है - स्टोरेज। जब सूरज नहीं होता (जैसे रात को या बादल वाले दिन), तब भी ऊर्जा की ज़रूरत बनी रहती है। ऐसे में बैटरी स्टोरेज सिस्टम और ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर की अहमियत बढ़ जाती है।
स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर: चुनौती या अवसर?
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भारत में अभी 90% से ज्यादा अक्षय ऊर्जा बिना स्टोरेज के ग्रिड से जुड़ी है।
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बैटरी लागत अभी भी अधिक है, लेकिन 2027 तक इसमें 40% तक गिरावट का अनुमान है।
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अमेरिका, चीन, और यूरोपीय देश तेजी से स्टोरेज प्लांट्स बना रहे हैं।
सरल शब्दों में: सौर ऊर्जा से बिजली बनाना आसान हो गया है, पर उसे स्टोर करना अभी भी मुश्किल है।
2030 का ऊर्जा मॉडल कैसा होगा?
ऊर्जा स्रोत | अनुमानित उत्पादन (TWh) | प्रमुख उपयोग |
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सौर ऊर्जा | 1000 | घरेलू, EV चार्जिंग |
कोयला | 770 | भारी उद्योग, बैकअप |
हवा (पवन ऊर्जा) | 420 | ग्रामीण, ऑफ़-ग्रिड |
हाइड्रो | 330 | स्थायी स्रोत |
न्यूक्लियर | 190 | बेसलोड बिजली |
भारत का क्या रोल होगा?
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भारत ने 2070 तक Net Zero लक्ष्य तय किया है।
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PM-KUSUM, Solar Rooftop Yojana, और Green Hydrogen Mission जैसे कार्यक्रम भारत को इस दौड़ में अग्रणी बना सकते हैं।
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2030 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन सकता है।
निष्कर्ष: क्या भविष्य उज्जवल है?
बिल्कुल।
2030 तक कोयले की जगह धूप लेने वाली है, लेकिन यह तब तक संभव नहीं जब तक सरकारें, स्टार्टअप्स और जनता मिलकर स्टोरेज तकनीकों में निवेश न करें। भविष्य की बिजली न सिर्फ हरित होगी, बल्कि स्मार्ट, लचीली और सस्ती भी होगी।
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