स्कूल फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी: अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ
स्कूल फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी: अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ
एक लोकलसर्किल्स सर्वे के चौंकाने वाले खुलासे
भारत के 309 जिलों में हुए एक सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई है। 36% अभिभावकों का कहना है कि पिछले 3 सालों में स्कूल फीस में 50% से 80% तक की बढ़ोतरी हुई है। इस सर्वे में कुल 31,000 से ज़्यादा अभिभावकों ने हिस्सा लिया।
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मुख्य बिंदु:
1. फीस बढ़ने की स्थिति
36% अभिभावकों ने कहा कि फीस 50% से 80% तक बढ़ गई है।
8% अभिभावकों ने तो यहाँ तक कहा कि स्कूल फीस 80% से भी अधिक बढ़ी है।
सिर्फ 27% अभिभावकों ने माना कि फीस 10-30% के बीच बढ़ी है।
7% ने कहा कि फीस में कोई बदलाव नहीं हुआ।
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2. सरकार की भूमिका पर सवाल
47% अभिभावकों ने कहा कि सरकार को स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगानी चाहिए।
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3. बच्चों की संख्या में कमी
देश में बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति घटी है।
UDISE+ 2023-24 के अनुसार 31 राज्यों में से 62% में बच्चों की संख्या कम हुई है।
इसका एक बड़ा कारण है फीस की बढ़ोतरी।
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4. निजी स्कूलों का दबदबा
देश के 24.8 करोड़ स्कूली छात्रों में से 11.6 करोड़ छात्र निजी स्कूलों में पढ़ते हैं।
बढ़ती फीस के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के माता-पिता भारी दबाव में हैं।
क्या आप भी स्कूल फीस बढ़ने से परेशान हैं?
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क्या आपने भी महसूस किया है कि पिछले कुछ सालों में स्कूल फीस ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ गई है?
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एक नए सर्वे के मुताबिक 36% पैरेंट्स का कहना है कि पिछले 3 सालों में स्कूल फीस में 50-80% तक की बढ़ोतरी हुई है।
93% लोगों का मानना है कि राज्य सरकारें फीस कंट्रोल करने में पूरी तरह फेल रही हैं।
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क्या सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए?
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स्कूल फीस में 3 सालों में 50-80% तक की बढ़ोतरी!
अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है शिक्षा
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एक लोकलसर्किल्स सर्वे में सामने आया है कि
➡️ 36% पैरेंट्स ने बताया कि पिछले 3 सालों में फीस 50-80% तक बढ़ी है।
➡️ 8% का कहना है कि फीस 80% से भी ज़्यादा बढ़ गई!
➡️ 93% पैरेंट्स ने राज्य सरकारों को फीस नियंत्रण में फेल बताया।
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सरकारें अगर जल्द सख़्त कदम नहीं उठाएंगी, तो शिक्षा आम आदमी की पहुंच से और दूर हो जाएगी।
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आपका क्या सोचना है? क्या सरकार को प्राइवेट स्कूलों की फीस नीति पर लगाम लगानी चाहिए?
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निष्कर्ष:
यह रिपोर्ट साफ़ दर्शाती है कि स्कूलों की फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी ने आम नागरिकों को परेशान कर रखा है। सरकारों को चाहिए कि वे सख्त कदम उठाकर निजी स्कूलों की फीस नीति पर नियंत्रण रखें और शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाएं।
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