ट्रेड वॉर तेज: चीन का अमेरिका पर जवाबी हमला, आर्थिक मंदी की आशंका

 


ट्रेड वॉर तेज: चीन का अमेरिका पर जवाबी हमला, आर्थिक मंदी की आशंका

 यह खबर चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) के बारे में विस्तार से बताती है।

मुख्य बातें:

 * ड्रैगन का हमला: खबर की शुरुआत में ही चीन द्वारा 16 अमेरिकी कंपनियों को सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) के निर्यात पर रोक लगाने की जानकारी दी गई है।

 * ट्रेड वॉर तेज: चीन ने अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर 34% का जवाबी टैरिफ (सीमा शुल्क) लगाया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल को चीन पर लगाए गए 34% टैरिफ की प्रतिक्रिया में उठाया गया है।

 * ट्रम्प की चेतावनी: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी है कि इस जवाबी टैरिफ का चीन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि चीन ने घबराकर यह कदम उठाया है और यह उनकी एक बड़ी गलती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह टैरिफ को लेकर अपनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं करेंगे और अमेरिका और अमीर बनेगा।

 * आर्थिक मंदी का खतरा: अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापार युद्ध दुनिया को आर्थिक मंदी में धकेल सकता है। उनका यह भी मानना है कि इस स्थिति में चीन का पलड़ा भारी रह सकता है।

 * चीन पर असर: नए टैरिफ के कारण चीन को नए बाजार तलाशने होंगे क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 34% टैरिफ से चीन के निर्यात में, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और उपभोक्ता सामान में बड़ी गिरावट आ सकती है, जिससे चीनी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि, अमेरिकी सामान महंगा होने से चीन के घरेलू उद्योगों को कुछ राहत मिल सकती है।

 * भारत पर असर: खबर में भारत पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर भी चर्चा की गई है। यदि अमेरिकी टैरिफ के कारण चीन अपने सस्ते सामानों को भारत जैसे बाजारों में डंप करता है, तो भारतीय निर्माताओं को नुकसान हो सकता है। इसलिए भारत को डंपिंग से सावधान रहना होगा। हालांकि, यह भारत के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने और 'मेक इन इंडिया' मिशन को तेजी से आगे बढ़ाने का एक अवसर भी हो सकता है। साथ ही, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत और चीन के आपसी व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है।

 * अमेरिका पर असर: अमेरिका में आयातित कच्चे माल और तैयार उत्पादों की लागत बढ़ने से महंगाई बढ़ सकती है, जिसके कारण फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में बदलाव करना पड़ सकता है। कृषि उत्पाद जैसे सोयाबीन, मक्का और मांस, जो अमेरिकी किसानों के लिए चीन के प्रमुख निर्यात हैं, पर भी असर पड़ेगा। ऊर्जा संसाधन और विमान उपकरण व ऑटोमोबाइल पार्ट्स भी चीन के बाजार में महंगे हो जाएंगे।

 * चीन का पलटवार: चीन ने न केवल टैरिफ लगाया है, बल्कि अमेरिका की 16 कंपनियों को संवेदनशील तकनीक के हस्तांतरण पर भी रोक लगा दी है। इन कंपनियों को चीन से सेमीकंडक्टर चिप और दुर्लभ खनिज मिलते थे, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्मार्ट बम बनाने तक में होता है। चीन ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भी तीन नई शिकायतें दर्ज कराई हैं।

 * पहले के अमेरिकी टैरिफ: खबर में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प पहले ही एक महीने में दो बार 10%-10% टैरिफ चीन पर लगा चुके हैं, जिससे अब चीन पर कुल 54% अमेरिकी टैरिफ हो गया है।

 * अन्य देशों की प्रतिक्रिया: चीन के जवाब के बाद अब यूरोपीय यूनियन (ईयू) भी अमेरिका पर टैरिफ लगाने की तैयारी में है। ईयू पर ट्रम्प ने पहले ही 20% टैरिफ लगाया है। कनाडा और मैक्सिको भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं।

 * बाजार पर असर: इस व्यापार युद्ध का असर बाजारों पर भी देखने को मिला है। शुक्रवार को भारत के सेंसेक्स में 931 अंकों की और निफ्टी में 346 अंकों की गिरावट आई। अमेरिकी शेयर बाजार (वॉल स्ट्रीट) में भी गिरावट दर्ज की गई। जापान के निक्केई में भी गिरावट आई है।

 * अमेरिका-चीन व्यापार के आंकड़े: खबर में अमेरिका और चीन के बीच कुल व्यापार का आंकड़ा भी दिया गया है, जो 581 अरब डॉलर है। इसमें चीन से अमेरिका का आयात 438 अरब डॉलर है, जबकि अमेरिका से चीन का निर्यात 143 अरब डॉलर है। इस तरह अमेरिका को चीन के साथ व्यापार में 295 अरब डॉलर का घाटा है।

संक्षेप में, यह खबर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव और उसके संभावित वैश्विक आर्थिक प्रभावों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।

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