AI Anchor की एंट्री – क्या इंसान की जगह अब AI ले लेगा न्यूज़



AI Anchor की एंट्री – क्या इंसान की जगह अब AI ले लेगा न्यूज़ 

AI एंकर की एंट्री: क्या न्यूज़ स्टूडियो में अब इंसान की जगह ले लेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?

परिचय: बदलती दुनिया, बदलती न्यूज़

2025 का भारत अब उस दौर में प्रवेश कर चुका है जहाँ न्यूज़ स्टूडियो में कैमरे के सामने बैठा चेहरा अब कोई इंसान नहीं बल्कि एक AI एंकर हो सकता है। हाल ही में भारत में एक प्रमुख न्यूज़ चैनल ने AI News Anchor को लॉन्च किया है — जो 24x7 काम कर सकता है, बिना थके, बिना गलती किए।


लेकिन सवाल ये है कि क्या यह केवल एक तकनीकी क्रांति है या पत्रकारिता की इंसानी आत्मा को खतरा?


AI एंकर क्या होता है?

AI एंकर एक वर्चुअल न्यूज़ रीडर होता है जिसे मशीन लर्निंग, टेक्स्ट-टू-स्पीच और डीपफेक जैसी तकनीकों से तैयार किया जाता है। इसकी शक्ल एक इंसान की तरह होती है, आवाज़ भी बेहद नैचुरल और बर्ताव भी प्रोफेशनल एंकर जैसा।


भारत में किस चैनल ने किया लॉन्च?

हाल ही में भारत के DD News और Odisha TV (OTV) जैसे बड़े चैनल्स ने AI एंकर को पेश किया है। OTV की AI एंकर का नाम “Lisa” है, जो ओडिया और अंग्रेज़ी दोनों में न्यूज़ पढ़ सकती है।

AI एंकर के फायदे

  • 24x7 न्यूज अपडेट: इंसानी शिफ्ट की ज़रूरत नहीं।

  • बिना गलती की डिलीवरी: स्क्रिप्टेड कंटेंट बिना रुके पढ़ सकता है।
  • बहुभाषी क्षमताएं: एक ही एंकर हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल, तेलुगु आदि भाषाएं बोल सकता है।
  • कॉस्ट सेविंग: लंबे समय में चैनल्स के लिए किफायती विकल्प।


क्या पत्रकारों की नौकरी खतरे में है?

यह सबसे बड़ा सवाल है।

AI एंकर रिपोर्ट पढ़ सकता है, लेकिन ग्राउंड रिपोर्टिंग, इंटरव्यू, एनालिसिस और भावनात्मक जुड़ाव अब भी इंसानी पत्रकार ही कर सकते हैं।

AI सिर्फ “पढ़” सकता है, सोच नहीं सकता।


जनता की प्रतिक्रिया

कुछ लोग इसे तकनीकी प्रगति मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे बेरोज़गारी की शुरुआत बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर दो टूक राय बंटी हुई है।


कानूनी और नैतिक पक्ष

AI एंकर अगर कोई झूठी या संवेदनशील न्यूज़ पढ़ दे, तो जिम्मेदार कौन होगा? क्या उसे भी प्रेस काउंसिल के नियमों में लाया जाएगा? ये बड़े सवाल अभी अनुत्तरित हैं।


निष्कर्ष:

AI एंकर का आना एक क्रांतिकारी कदम है — लेकिन इसका उपयोग एक टूल के रूप में होना चाहिए, इंसान के विकल्प के रूप में नहीं। पत्रकारिता का दिल अब भी इंसान की सोच, अनुभव और संवेदनशीलता में ही बसता है।

लेखक:

आशीष @kyonyaarblog

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